Religion – Myths and Fact

मानव की उत्पत्ति से ले कर आज तक ब्रह्माण्ड की रहस्यमई पहेलियों को बुद्धि से श्रेष्ठ मनीषियों ने अपने अपने तरीके से सुलझाने की कोशिश की है, जिन्हें समाज ने मान्यता ही नहीं दी , बल्कि उन्हें धर्म के रूप में शिरोधार्य करके अंधों, पागलों की तरह पीछे चल पड़ा , हर मान्यता के अलग अलग गुट सम्प्रदाय बनते चले गए, नए नए नियम बनाये गए , और सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी मानव , इस धार्मिक डरावने मकड़जाल में उलझ कर रह गया, न तो उसके पास इस डर से निकलने की शक्ति ही बची और न ही समय , नतीजा, इन तथाकथित धर्मों का रूप दिन प्रतिदिन और डरावना और सृष्टि के लिए घातक होता जा रहा है| मानव को अब अपने अंतर्मन में ही खुद को तलाशना होगा, अपनी पहचान पानी होगी, वह परमात्मा की असीम सत्ता का इस सृष्टि में प्रनिधित्व करता है, यह उसे समझना होगा, एक बार अगर वह खुद को जान गया, तो वह परमात्मा को, सृष्टि के हर नियम कानून को सहज रूप से जान जायेगा एवं जिस कर्म के लिए उसका जन्म हुआ है उसे समझ कर उसमे नियत हो जायेगा , बस उसे ज़रा हिम्मत करनी होगी, ईमानदारी से, हर तरह के कपट,भय और लालच से खुद को मुक्त कर अपना हाथ बढ़ाना होगा, प्रार्थना करनी होगी परमात्मा से, वह स्वतः मार्ग दर्शा देंगे, न सिर्फ दर्शायेगे, उस पर चला भी देंगे।

6 Replies to “Religion – Myths and Fact”

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