मन के मुख्यतः तीन भाग होते हैं और इसे कंप्यूटर की मेमोरी के टर्म्स में भी समझा जा सकता है:
1. सचेतन ( रैम)
2. अर्ध चेतन (कैश मेमोरी)
3. अवचेतन (हार्ड डिस्क)
अवचेतन मन एक डेटा कलेक्शन सेंटर की तरह है, जैसे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क, यहाँ डेटा क्रमशः सचेतन मन से अर्धचेतन मन और फिर अवचेतन में जा के स्टोर हो जाता है, किसी भी काम को बार बार किया जाये, वह हमारी आदत बन जाती है, और हर आदत अवचेतन में स्टोर हो जाती है, अर्ध चेतन मन कंप्यूटर की कैश मेमोरी की तरह है, जिसमें अवचेतन मन से बार बार यूज़ होने वाला डेटा अर्धचेतन से होता हुआ सचेतन की ओर ट्रेवल करता रहता है, और फास्टर प्रोसेसिंग के लिये स्टोर रहता है, जिस पर दिमाग एक प्रोसेसर की तरह कार्य करता है, सचेतन मन कंप्यूटर की रैम की तरह है, जिसपे बुद्धि या कहें दिमाग द्वारा प्रोसेसिंग होती है।
इसका अर्थ यह, कि हमारा मन बुद्धि का पूरा सिस्टम डेटा अर्थात मेमोरी पे कार्य करता है, गौर कर के देखें, तो पायेंगे, कि मन सदा वहीँ जाता है, जो कुछ आपने अपने जीवन में देखा, सुना, महसूस किया होता है, मन की यही तय सीमायें हैं, अर्थात मन एक मेमोरी के अलावा और कुछ नहीं, यही मेमोरी हमारे पूरे व्यक्तित्व और जीवन का निर्धारण करती है।
अतः मन पर नियंत्रण के लिये परम आवश्यक है कि जीवन को बहुत ही ध्यान पूर्वक जिया जाये, डेटा कलेक्शन की क़्वालिटी पर विशेष ध्यान अर्थात, क्या देख सुन बोल देख रहे हैं, खा रहे हैं, विशेष ध्यान रखा जाये, क्योंकि यही डेटा हमारे जीवन की दिशा और दशा निर्धारित करता है। अतः अपने मन को ध्यान पूर्वक सही खुराक (डेटा) दें, और कुछ ही दिनों में फर्क देखें।