Kundalini – The Power House in you

कहा जाता है कि जो लोग किसी सिद्धि प्राप्ति की लालसा से चक्र भेदन कुंडलिनी जागरण जैसी क्रियाएँ करते हैं, उन्हें शारीरिक और मानसिक तनाव व् समस्यायें हो जाती हैं, कारण, कि उनका शरीर व् मन मस्तिष्क इस लायक नहीं होता जो उस ऊर्जा का प्रवाह झेल सके, कुछ गुरु शक्तिपात के द्वारा भी ऐसी कुछ अनुभूतियाँ कराने में सक्षम होते हैं, लेकिन यह मार्ग खतरनाक है, अतः पहले अपने शरीर और मन को इस लायक बनाना चाहिये जो चक्र भेदन कुंडलिनी जागरण के लिये उठने वाली ऊर्जा को झेल सके।
अतः साधक को निम्न पञ्चमार्ग अपनाना चाहिये:
1. सात्विक भोजन (जैसा अन्न वैसा तन एवं मन)
2. अहिंसा – अर्थात मन एवं कर्म से सात्विकता (किसी का भी अहित किसी भी प्रकार से न करने की चेष्टा, विचार भी न लाना)
3. सत्य (सत्य का अर्थात सत्य बोलना नहीं, जो भी समाज के हित में है, ऐसा कार्य करना
4. इंद्रीय संयम – इन्द्रीयों के दास न बन कर उन्हें अपना दास बनाना
5. दान – याद रखें, प्रसिद्धि की लालसा दे किया गया दान कभी शुभ फल नहीं देता, दान गुप्त होना चाहिये, प्रसिद्धि की लालसा अहंकार की कामना है, जो वर्जित है
इन सद्गुणों को ब्रह्मचर्य भी कहते हैं – अर्थात ब्रह्म जैसी चर्या (कार्य)
अब बात आती है, कि इस दुरूह मार्ग पर चला कैसे जाये, तो याद रखें निरंतर अभ्यास से ही यह सम्भव है।
साधक को चाहिये कि सबसे पहले वह तामसिक भोजन को त्याग कर सात्विक एवं संयमित आहार ग्रहण करना शुरू करे, प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में योग एवं प्राणायाम का अभ्यास शुरू करे, अपशब्द, गलत बोलने, और नकारात्मक विचार एवं माहौल से खुद को बचाये, यथोचित कर्म जो आपके परिवार और समाज दोनों के लिये उपयुक्त हो, उसमें ईमानदारी से संलग्न रहे, किसी का एक भी पैसा चोरी या गलत मार्ग से लेने की कल्पना भी न करे
अगर आप इस मार्ग पर चल पड़ेंगे, तो आप को स्वतः ही आत्मा परमात्मा, कुंडलिनी जागरण, चक्र भेदन का ज्ञान एवं अनुभव होने लगेगा, और आप स्वयं को छठी इंद्रिय के जागृत होने का अनुभव दे पायेंगे, जिसे हम शिव का तृतीय नेत्र भी कहते हैं।
एक अभ्यास तुरंत शुरू करें: मन को शांत रखते हुये उगते हुये सूर्य को कुछ देर एकटक देखते हुये उन्हें गायत्री मंत्र का जाप कर प्रणाम करें, कोशिश करें, सुबह जितना संभव हो, सूर्य को देखें – एक सप्ताह में ही आपको अपने भीतर सकारात्मक परिवर्तन नज़र आने लगेंगे।

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