Author: Alok Sir

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Education System (शिक्षा व्यवस्था)

विचार कीजिये, कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में हम अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को क्या दे रहे हैं, हर व्यक्तित्व खुद में अलग होता है, उज्वल भविष्य की नई और अपार सम्भावनायें लिये, हम कौन होते हैं उसका भविष्य खुद के ढर्रे पे चलाकर निर्धारित करने वाले, परमात्मा उसे कुछ बनने के लिये भेजता ….  Read More

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मन और आप (Your Mind and You)

मन के मुख्यतः तीन भाग होते हैं और इसे कंप्यूटर की मेमोरी के टर्म्स में भी समझा जा सकता है: 1. सचेतन ( रैम) 2. अर्ध चेतन (कैश मेमोरी) 3. अवचेतन (हार्ड डिस्क) अवचेतन मन एक डेटा कलेक्शन सेंटर की तरह है, जैसे कंप्यूटर की हार्ड डिस्क, यहाँ डेटा क्रमशः सचेतन मन से अर्धचेतन मन ….  Read More

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मोक्ष जीवित रहते ही प्राप्त हो सकता है (Salvation can be attained while alive)

आत्मा का परम भाव ही परमात्मा है, अर्थात् आप शरीर नहीं, आत्मा हैं, परमत्व प्राप्त करने के लिये आवश्यकता है, आत्म साक्षात्कार की। शरीर सोता है, लेकिन आत्मा सदैव जागती है, ह्रदय को स्पंदन देती है, शरीर को कार्य करने की ऊर्जा देती है, अपनी बुद्धि (जो ब्रह्मा का ही स्वरूप है), इसकी  शुद्धि के ….  Read More

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शाश्वत अनंत सनातन को पहचाने (Recognize the Infinite Eternal)

छुआछूत, अस्पृश्यता एक मात्र कारण रहा है, सनातन धर्म के विघटन और वैश्विक बर्बादी का। वैश्विक बर्बादी इसलिये, कि हर संप्रदाय जिसे आप “धर्म” कहते हो, जातियां उपजातियाँ सभी सनातन धर्म से ही उत्पन्न हुये हैं, युगों युगों से चली आ रही, मानसिक अस्पृश्यता की वजह से, जिन्हें लगा कि वो कमज़ोर हैं, रेस में ….  Read More

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शिवलिंग है शिव शक्ति का प्रतीक (Shivling is the symbol of Shiva Shakti)

वेदों और पौराणिक कथाओं के अनुसार परमात्मा ने अपना प्रथम परिचय ब्रह्मा को अर्धनारीश्वर के रूप में दिया है, यह रूप शिव और शक्ति का कहा जाता है, अर्थात शिव और शक्ति की प्रेरणा से या कहें पवित्र संयोग से ही इस सम्पूर्ण सृष्टि का अस्तित्व है।  भगवान शिव को रुद्र भी कहा गया है, ….  Read More

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OM – The Eternal Cosmic Sound (ॐ एक आत्मिक अनुभूति)

ॐ, यह एकाक्षरी मंत्र लगता है जैसे सारी सृष्टि या कहें ब्रह्मांड से परिचय कराता है: अ, उ और म यानि अकार (ब्रह्मा) उकार (विष्णु) और मकार (शिव) प्रतीकों से सुसज्जित यह ईश्वरीय मंत्र, आदि, मध्य और मौन (अंत या कहें अनंत) को परिभाषित करता है, ॐ के उच्चारण में अ का उच्चारण हृदय देश ….  Read More

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क्या आप धार्मिक हैं ? (Are you really religious)

समाज ने अपने अपने संप्रदायों को ही धर्म का नाम दे दिया है, जितने संप्रदाय उतने ही धर्म। वास्तविक धर्म किसी संप्रदाय विशेष का मोहताज़ नहीं, बल्कि परमात्मा, अर्थात अपनी ही आत्मा के परम स्वरूप “परम आत्मा” को प्राप्त करने का मार्ग या कहें आचरण मात्र है। धर्म के नाम पर जो भी विसंगतियाँ समाज ….  Read More