ॐ, यह एकाक्षरी मंत्र लगता है जैसे सारी सृष्टि या कहें ब्रह्मांड से परिचय कराता है:
अ, उ और म यानि अकार (ब्रह्मा) उकार (विष्णु) और मकार (शिव) प्रतीकों से सुसज्जित यह ईश्वरीय मंत्र, आदि, मध्य और मौन (अंत या कहें अनंत) को परिभाषित करता है, ॐ के उच्चारण में अ का उच्चारण हृदय देश से, अर्थात उत्पत्ति या कहें ब्रह्मा को दर्शाता है, उ का उच्चारण तालू से अर्थात मध्य अर्थात पालनहार भगवान विष्णु को प्रकट करता है, म का उच्चारण होठों को बंद करके होता है, गुंजायमान नाद (स्वर), इसके बाद हलंत और उसके पार सूक्ष्म बिंदु मौन की ओर ले जाता है,अर्थात भगवान महादेव शिव की अनंतता का परिचय और अनुभूति देता है।
यह पवित्र एकाक्षरी मंत्र सम्पूर्ण ब्रह्मांड अर्थात दैवीय सत्ता का परिचय देता है, अगर ध्यान दें तो पायेंगे कि सारी प्रकृति, आपके आस पास मौजूद हर वस्तु ॐ का जाप कर रही है, हर ध्वनि में यह ध्वनि सुनाई देती है, यदि आप चेतना की उच्चतर अवस्था में हैं, तो आपको यह धवनि अनाहत नाद के रूप में सुनाई देती है। परमात्मा का परिचायक है ॐ।