मोक्ष जीवित रहते ही प्राप्त हो सकता है (Salvation can be attained while alive)

आत्मा का परम भाव ही परमात्मा है, अर्थात् आप शरीर नहीं, आत्मा हैं, परमत्व प्राप्त करने के लिये आवश्यकता है, आत्म साक्षात्कार की। शरीर सोता है, लेकिन आत्मा सदैव जागती है, ह्रदय को स्पंदन देती है, शरीर को कार्य करने की ऊर्जा देती है, अपनी बुद्धि (जो ब्रह्मा का ही स्वरूप है), इसकी  शुद्धि के द्वारा आत्म साक्षात्कार और परमात्म भाव की प्राप्ति संभव है, यही जीवन का लक्ष्य भी है।

हठ योग का मार्ग सर्वोत्तम है आत्मदर्शन के लिये, हठ योग कुछ और नहीं, अपनी समस्त इन्द्रियों को अनुशासित रख कर लोक कल्याण हेतु “नियत कर्म” के मार्ग पर आगे बढ़ना है, एक बार हठ योग प्रारंभ हो गया, भले प्रारंभिक अल्प संकल्प एवम् प्रयास के साथ ही सही, बार बार गिरने, संभलने के बाद भी,’आत्मा’, “परमात्मा” में विलीन हो ही जायेगी, क्योंकि एक बार प्रारंभ होने पर यह संकल्प और प्रक्रिया मिट नहीं सकती, आगे बढ़ते हुये, इस जन्म में ही, या फिर अनेक जन्म जन्मांतरों के बाद, इस लक्ष्य की प्राप्ति अपरिहार्य है, यही मोक्ष है।

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