वेदों और पौराणिक कथाओं के अनुसार परमात्मा ने अपना प्रथम परिचय ब्रह्मा को अर्धनारीश्वर के रूप में दिया है, यह रूप शिव और शक्ति का कहा जाता है, अर्थात शिव और शक्ति की प्रेरणा से या कहें पवित्र संयोग से ही इस सम्पूर्ण सृष्टि का अस्तित्व है। भगवान शिव को रुद्र भी कहा गया है, पृथ्वी पर जहाँ जहाँ भी रुद्रावतार स्थान अर्थात मंदिर हैं, हर जगह माँ शक्ति भी उपस्थित हैं, शिव और शक्ति की उपासना साथ होती है।
परम ऊर्जा का प्रतीक है महादेव का “शिव शक्ति” रूप, उन्होंने पौरुष सत्ता के साथ ही नारी सत्ता को भी उतना ही महत्त्व दिया है, सृष्टि के आरम्भ में ही,अपने अर्धनारीश्वर रूप से बताया है कि बिना शक्ति के शिव अधूरे हैं, और बिना शिव, शक्ति।
ब्रह्मांड का अस्तिव शिव-शक्ति रूप से ही संभव है, और शिवलिंग इसी शिव शक्ति रूप को प्रदर्शित करता है, ब्रह्मांड या कहें सम्पूर्ण सृष्टि की सत्ता और ऊर्जा को प्रदर्शित करता है, उत्पत्ति भी बताता है और विलय भी। आज हम नारी की बराबरी की बात करते हैं, लेकिन यह पूज्य प्रतीक बताता है कि महादेव शिव के अनुसार नारी शक्ति के बिना तो सृष्टि का अस्तित्व ही नहीं, अतः नारी सदैव पूज्य है।
शिव की आराधना शक्ति के बिना नहीं हो सकती, यही शिवलिंग का सृष्टि को संदेश है।